सातवें वेतन आयोग के लिए आईएएस अफसरों की चिंता
कागजी घोड़ों की अकड़ – नवभारतटाइम्स.कॉम
भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के अधिकारी आज भी विशिष्टता ग्रंथि के शिकार हैं। हाल के एक ट्विटर-वॉर से पता चलता है वे न सिर्फ विशेषाधिकार प्राप्त समूह वाले अपने दर्जे को बरकरार रखना चाहते हैं, बल्कि रिटायरमेंट के बाद भी प्राण-पण से इस कोशिश में जुटे रहते हैं कि किसी और को यह हैसियत न मिलने पाए। इन दिनों कई आईएएस अफसर इस बात से चिंतित हैं कि सातवें वेतन आयोग की सिफारिशें लागू होने के बाद कहीं एलाइड सिविल सर्विसेज के जरिए आने वाले उनसे निचले दर्जे के अधिकारियों का वेतन और सुविधाएं उनके बराबर न हो जाए। उनमें से कई ने इसकी बाकायदा शिकायत कैबिनेट सेक्रेटरी से की है।
कुछ अफसर तो यहां तक मानते हैं कि यह प्रतियोगिता के सिद्धांत के खिलाफ है। उनकी दलील है कि सिविल सर्विसेज एग्जाम में वे सबसे ज्यादा अंक लाते हैं, लिहाजा कोई भी उच्च पद उनके सिवाय किसी और को देना उनके साथ अन्याय है। दूसरी तरफ आईपीएस और आईआरएस जैसी सेवाओं के अधिकारी यह शिकायत करते रहे हैं कि जॉइट सेक्रेटरी रैंक के पद पर उनकी नियुक्ति प्राय: नहीं हो पाती, क्योंकि ज्यादातर इन पर आईएएस ही काबिज हो जाते हैं। यह सचाई है। आईएएस अफसर तमाम निर्णायक पदों पर बैठे रहते हैं। उनकी लॉबी इस कोशिश में लगी होती है कि दूसरी किसी भी सेवा के लोगों को शीर्ष पदों पर न आने दिया जाए।
Read more at Navbharat Times
Leave a Reply